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✴ प्यार के रंग में डूबी एक तसवीर ✴
संजय त्रिपाठी
फरवरी के महीने में कुछ याद आए न आए, मधुबाला जरूर याद आ जाती हैं। साल के सबसे रोमांटिक दिन 14 फरवरी वेलेंटाइनस डे के दिन जिसका जन्म हुआ हो, जिसे रजतपट का वीनस कहा जाता हो। हृदय गगन में धूमकेतु सी उभरती मधुबाला को कौन भूल सकता है।
‘हमें देखकर ये कौन छिप गया बहार?’
‘छिपा नहीं साहबे आलम छिपाया गया है’
‘क्यों?’
‘संगतराश का यह दावा है कि जब ये मुजस्सिमां बेनकाब होगा तो...’
‘बेखौफ होकर कहो,
‘कभी-कभी दावे दिलचस्प भी हुआ करते हैं।’
‘उसका ये दावा है कि इसे देखकर सिपाही अपनी तलवार, षहंशाह अपना ताज और इंसान अपना दिल निकालकर उसके कदमों में रख देंगे।’
‘संगतराश का दावा दिलचस्पी की हदों को आगे बढ़ गया है। हम उसके फन का गुरूर देखना चाहते है।’
बुत बेनकाब हुआ और फिल्म मुगल-ए-आजम की नायिका अनारकली खड़ी थी। प्यार के रंग में डूबी एक तसवीर। मधुबाला को गुजरे हुए 40 से भी अधिक वर्श हो गए हैं बावजूद इसके उनकी संुदरता के चर्चे कम नहीं हुए और आज भी वह तीन पीढ़ियों के दर्शक के दिलों पर राज कर रही हैं। थोड़ा जोड़ना पड़ेगा। चौथी पीढ़ी भी गा रही- ‘जब प्यार किया तो डरना क्या?’
14 फरवरी 1933 को दिल्ली में जन्मी थी मधुबाल। एक ऐसे गरीब मुस्लिम परिवार में जहां दो वक्त की रोटी भी मुश्किल से मिलती थी। 11 भाई बहनों वाली मुमताज बेगम देहलवी यानी मधुबाला को देखकर एक फकीर ने उनके पिता अताउल्ला खां को कहा था ‘इसके माथे पर नूर है और यह लड़की बहुत नाम कमाएगी। गरीबी के घुप्प अंधेरे में जीवन जी रहे इस परिवार को मुमताज की षक्ल में एक रोशनी दिखाई दी। अताउल्ला ने परिवार के साथ बाम्बे जाने का निर्णय लिया। वहां स्थिति और खराब हो गई कि एक दिन अचानक फकीर के उस दावे ने उनके दर पर दस्तक दी। मुमताज को फिल्म ‘बसंत’ में बाल कलाकार का रोल मिला। पगार सौ रुपए महीना। पूरा परिवार खुशी से झूम उठा। इसी बीच उनकी मुलाकात तब की सुपरस्टार देविका रानी से हुई। देविका ने ही मुमताज देहलवी का मधुबाला नाम दिया।
बेबी मुमताज को पहली बार नायिका बनाया डायरेक्टर केदार षर्मा ने फिल्म ‘नीलकमल’ में। राजकपूर उनके नायक थे। लेकिन सफलता और लाइम लाईट में मधुबाला नाम से वे परिचित हुई फिल्म ‘महल’ से। उनके नायक थे अशोक कुमार। ‘महल’ ने कई इतिहास बनाए। इस तरह हिंदी सिनेमा को एक ताजगी भरा चेहरा मधुबाला के रूप में मिला। मधुबाला का रूपहला संसार जितना सुहाना था, निजी जिंदगी उतनी ही अवसाद भरी और अंधेरी है। दिलीप कुमार हो या प्रेमनाथ हो या उनके दीवाने दर्शक, मधुबाला किसी की भी ना हो सकी। प्रेम को लेकर उनको कमाल अमरोही के साथ जोड़ा गया। कमाल साहब षादी षुदा थे। मधुबाला का दिल टूट गया। एक बार एक फिल्म की षूटिंग के समय उनके मुंह से खून की उलटी हुई। पता चला उनके दिल में छेद है। वे बीमार रहने लगीं। एक तरफ वे बीमारी से लड़ रही थीं और दूसरी आरे उनकी षोहरत आसमां छू रही थी। अब वे प्यार की तलाश में थीं। उनकी जिंदगी में प्रेमनाथ आए लेकिन वह सिलसिला जल्द ही टूट गया। फिल्म ‘तराना’ के सेट पर जब वे दिलीप कुमार से मिली तो उनके प्रति आकर्शित हुई और अपना दिल दे बैठी। मधु ने अपनी मेकअप आर्टिस्ट के जरिए उन्हें लाल गुलाब और उर्दू में लिखा खत भेजा। दिलीप ने प्यार की इस निशानी को खुशी-खुशी कुबूल कर लिया। उनकी सच्ची मोहब्बत परदे पर भी नजर आ रही थी। लेकिन इस रिश्ते पर किसी का पहरा था। अताउल्ला खां इस रिश्ते से नाखुश थे। दोनों को छुपकर मिलना पड़ता था। अताउल्ला ने दोनों के प्यार को समाप्त करने के लिए कोर्ट में दिलीप के खिलाफ केस तक कर दिया। फिल्म ‘नया दौर’ के दौरान अदालत के आमने-सामने थे। यह अनबन ताजिंदगी चली। यहां तक की मुगल-ए-आजम के सेट पर रोमांटिक दृश्य करते हुए भी दोनों ने एक दूसरे से बातचीत नहीं की थी। मधुबाला की दोस्त नरगिस ने उन्हें भारत भूशण से षादी करने की सलाह दी। वे भी इसके लिए तैयार थे लेकिन प्यार की इस देवी उन दिनों फिदा थी उस दौर के महान गायक और नायक किशोर कुमार पर। फिल्म ‘चलती का नाम गाड़ी’ में वे किशोर दा को दिल देकर गाड़ी से उतर गई थीं। एक भींगी भागी लड़की ने इस बार किशोर का दिल चुराया कि दोनों ने षादी कर ली। किशोर तलाकशुदा थे। माता-पिता के मना करने के बाद भी किशोर ने यह षादी की। उनके माता-पिता का मानना था कि किशोर कुमार की पहली पत्नी से तलाक की वजह मधुबाला ही हैं। मधुबाला के दिल का घाव बढ़ता ही गया और इस घाव के कारण बनते रहे दिलीप कुमार और किशोर दा भी। वे न चाह कर भी दिलीप कुमार को भूल नहीं पाईं और इधर किशोर का भी पूरा प्यार उन्हें नहीं मिल पा रहा था। इतनी मासूमियत, इतना दर्द कोई कैसे झेल पाता। वो मर रही थीं। और इधर गीत फिजाओं में गूंज रहे थे प्यार किया तो डरना क्या’।
इस वसंती महीने से उनका गहरा रिश्ता लगता है। 23 फरवरी 1969 को लंबी बीमारी के बाद उनके दिल की धड़कनें हमेशा के लिए सो गईं। लेकिन मधुबाला कोई सो नहीं गया है। सभी जगे हैं। आज और कल भी प्यार दिवस पर। तुम्हारी यादों के साथ। अगले साल थोड़ा और प्यार के साथ मिलते हैं मधु। हैप्पी वेलेटाइंनडे। अगली बार षायद और प्यार के साथ मिलेंगे हम और मेरी मधु। मधुरा को छोड़ना नहीं है।
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